डीपी सिंह की रचनाएं…
कश्मीर फ़ाइल्स गद्दियाँ जो हिली न थीं, फुरसत मिली न थी वादियों में अलगाववादियों के
सौमेन रॉय की कविता : सुनापन
।।सुनापन।। सौमेन रॉय ये सुनापन जो मेरी आंखों में नमी बनकर उतरी है, पूछ रही
दीपा ओझा की कविता : “मुझे थकने का अधिकार नहीं”
“मुझे थकने का अधिकार नहीं” मुझे थकने का अधिकार नहीं मेरे सपनों की उड़ान इस
रिया सिंह की कविता : “काशी”
।।काशी।। जहाँ की हवाएं, पवित्रता की बनी पहचान है, और आस्था ने स्वयं किया, ज्ञान
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : जिंदगी का सफर
।।ज़िन्दगी का सफ़र।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा आलिशान महल बना लिए हो तो क्या हुआ
सुधीर सिंह की कविता : बुढ़ी औरत
।।बुढ़ी औरत।। सुधीर सिंह अंग प्रत्यंग भंग है मानसिक अपंग है पथ कठिन है मगर
विश्व कविता दिवस पर विमर्श : सम्मानित हुए कविगण
गोण्डा के सुधीर श्रीवास्तव भी “कवि रत्न” से सम्मानित बस्ती, (उ.प्र.) । विश्व कविता दिवस
सुरेश शर्मा की कविता : आओ होली खेलें
।।आओ होली खेलें।। आओ होली खेलें आओ होली खेलें। जिंदगी को नई उमंग दे इसे
राष्ट्रीय कवि संगम की काव्य गोष्ठी में जमकर बरसी फाल्गुन की रंग बिरंगी फुहार
“त्यौहार होता है भले हिन्दूओं का “पुकार”/खुशियाँ मनाते सब है अपरम्पार होली में” कोलकाता। उत्कृष्ट
गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता : होली आई रे
होली आई रे गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा आई होली का त्योहार रंगों में भरी है