विनय सिंह बैस की रचना

खंत मतइया, कौड़ी पइया, गंग बहइया। गंगा मइया बालू दिहिन, बालू लइके भुजवा का दीन,

डॉ. आर.बी. दास की कविता : वक्त नहीं लगता

।।वक्त नहीं लगता।। डॉ. आर.बी. दास घर बनाने में वक्त लगता है, पर मिटाने में

डॉ. आर.बी. दास की कविता : राही

।।राही।। डॉ. आर.बी. दास जब तक चलेगी जिंदगी की सांसे, कहीं प्यार तो कही तकरार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : गुरु-सम्मान

श्रीराम पुकार शर्मा, हावड़ा। आज कई दिनों के बाद अचानक उनसे मेरी नजरें मिल गयीं।

डॉ. आर.बी. दास की कविता

अंधों को अंधेरे से कोई फर्क नहीं पड़ता, उगते सूरज से भी कोई फर्क नहीं

बरषा काल मेघ नभ छाए, गरजत लागत परम सुहाए

श्री राम पुकार शर्मा, हावड़ा। प्रकृति सर्वदा से ही मानव सहित समस्त चराचरों के पल-पल

डीपी सिंह की रचना : आन्दोलन

।।आन्दोलन।। डीपी सिंह माना, कुछ उपलब्धि देश ने आन्दोलन से पाई है पर इसकी औलादों

डीपी सिंह की रचनाएं

।।नेता निर्माण प्रक्रिया।। डीपी सिंह नर जन्म तो है, ईश्वर की रचना पर है अजूबा,

डीपी सिंह की रचनाएं

।।आज का कटु सत्य।। डीपी सिंह अंधी देवी को दिया, हाथों में तलवार लाठी चौकीदार

डॉ. आर.बी. दास की कविता : दोस्त अब थकने लगे है

।।दोस्त अब थकने लगे है।। डॉ. आर.बी. दास किसी का पेट निकल आया हैं, किसी