दीपावली पर विशेष : बाल गीत

।।झट पट दिए निकालो बच्चों, आया दीपों का त्योहार।। चिड़ियाँ चहक रहीं उपवन में घर

डीपी सिंह की रचनाएं

खा के पैसे – ज़मीन, भूल गये कर के वा’दे हसीन, भूल गये देखा हमने

सौमित्र मोहन की कविता : मैं बड़ा हो गया हूँ

।।मैं बड़ा हो गया हूँ।। सौमित्र मोहन मुझे लगता है मैं बड़ा हो गया हूँ

डीपी सिंह की रचनाएं

मैडम का खड़ाऊँ ले, खड़गे जी माथे पर घोड़ों में देखेंगे गधे कितना दौड़ाते हैं

डीपी सिंह की रचनाएं

साँप नेवले चूहों में ठगबन्धन की तैयारी है पर आपस में भीतर भीतर टाँग खिंचाई

डीपी सिंह की रचनाएं

आज़ादी का स्वप्न दिखाकर काम किया नादानी का ठगते रहे ओढ़कर चोला अब तक वो

डीपी सिंह की रचनाएं

मक्खी मच्छर वाइरस, बारिश में सुख पायँ दरवाजे खिड़की सभी, फूले नहीं समायँ फूले नहीं

डीपी सिंह की रचनाएं

मद्य घोटाले की चर्चा आम जन में क्या गई शह्र के मालिक की सूरत जाने

डीपी सिंह की रचनाएं

हँसी तो द्रौपदी की कौरवों का बस बहाना था उन्हें नामो-निशां ही पाण्डु- पुत्रों का

डीपी सिंह की रचनाएं

ज़ुबां कड़वी है, मीठी, तो कभी अनमोल मोती है ये जब मुँह में नहीं होती,