डी पी सिंह की रचनाएं

रङ्गों का त्यौहार… होली  रङ्ग हमें ये सिखलाते हैं, कैसे रहना मिलकर सङ्ग घुल मिल

राजीव कुमार झा की कविता : होली के गीत

।।होली के गीत।। राजीव कुमार झा मौसम के झरोखों में वसंत के बेल बूटे झाड़फानूस

अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : होली

।।होली।। अशोक वर्मा “हमदर्द” जमाना खराब है नौजवानों के हाथों में शराब है चला है

राजीव कुमार झा की कविता : पतझड़

।।पतझड़।। राजीव कुमार झा कोई सबसे पुरानी बात कल सुबह जब याद आई सावन का

राजीव कुमार झा की कविता : पंछी

।।पंछी।। राजीव कुमार झा धूप में हवा के पंख जो सिमटे फागुन में पेड़ों की

डीपी सिंह की रचनाएं

आते ही चुनाव गाँव-गाँव में है काँव-काँव आतिशी प्रपंच कहीं खेड़ा का बखेड़ा है आम

राजीव कुमार झा की कविता : मीठे पानी की धार

।।मीठे पानी की धार।। राजीव कुमार झा सागर तुम किसकी प्यास बुझाते खारे पानी की

राजीव कुमार झा की कविता : फागुन

।।फागुन।। राजीव कुमार झा फागुन के मौसम का नया उजाला वसंत नयी यादों को लेकर

राजीव कुमार झा की कविता : वसंत का आगमन

।।वसंत का आंगन।। राजीव कुमार वसंत की हवा सुबह में आयी वह धूप में बदल

डीपी सिंह की रचनाएं

राहे-वतन में इश्क़ का कुछ अलहदा अंदाज़ है शाह-ए-जहां हर इक सिपाही, मौत ही मुमताज़