सुधीर श्रीवास्तव की कविता : जलियांवाला बाग

।।जलियांवाला बाग।।

बैशाखी का पावन दिन
तारीख तेरह अप्रैल उन्नीस सौ उन्नीस
एक सभा हो रही थी
रौलेट एक्ट का विरोध हो रहा था।
अनायास ही एक अंग्रेज दरिंदा
जनरल डायर नाम था जिसका,
भीड़ पर चलवा दी गोलियां।
लोग नहीं कुछ समझ सके
जब तक कुछ वे समझ पाते,
चार सौ से ज्यादा तो मर ही गए
दो हजार से ज्यादा जख्मी हो गए।
कहीं चार सौ चौरासी तो कहीं
तीन सौ अट्ठासी की सूची है।
पर ब्रिटिशराज के अभिलेखों में
केवल दौ सौ घायलों संग
तीन सौ उन्यासी शहीदों की
ब्रिटिश हूकूमत ने बात कबूल की थी,
पर कुछ का अनुमान ऐसा भी था
मरे तो थे एक हजार और
घायलों का आंकाड़ा दो हजार था।
स्वतंत्रता संग्राम पर इस घटना का
इस हत्याकांड का असर हुआ,
जलियांवाला बाग हत्याकांड
ब्रिटिश शासन के अंत का सूत्रधार बना।
उन्नीस सौ इकहत्तर में पहली बार
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने
जलियांवाला बाग स्मारक पर
शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी,
दो हजार तेरह में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने
ब्रिटिश इतिहास में इसे शर्मनाक घटना
लिखकर ये स्वीकार की थी।
हम आज उन शहीदों को
शत नत नमन करते हैं,
ब्रिटिश हूकूमत को उनकी इस बेशर्मी पर
अब भी लानत भेजते हैं।

sudhir jpg
सुधीर श्रीवास्तव

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *