डीपी सिंह की रचनाएं…
कश्मीर फ़ाइल्स गद्दियाँ जो हिली न थीं, फुरसत मिली न थी वादियों में अलगाववादियों के
डीपी सिंह की रचनाएं
अभी चढ़ी तो नहीं है न! होलिका बिल्कुल न पीना, भाँग वाले दिन कभी गाल
डीपी सिंह की रचनाएं…
नैन गड़ाइ न ढूँढ़ि सकै कहुँ अन्धन हाथ बटेर लगावै दीन मलीन दसा कतहूँ कहुँ
डीपी सिंह की कविता : अच्छे दिन कब आएंगे
।।अच्छे दिन कब आएँगे।। राम लला तम्बू से बाहर, भव्य भवन में आये हैं बाबा
डीपी सिंह की रचनाएं
श्याम तन पर विविध रङ्ग – रोली सखी छवि है मनमोहिनी, कितनी भोली सखी सीय
डीपी सिंह की रचनाएं
जिसकी इच्छा से ही सुब्ह और शाम हो इक पता जानने में वो नाकाम हो
डीपी सिंह की कुंडलियां
अक्सर मन्दिर-घाट पर, हर चुनाव के बीच रूप बदलकर घूमते, कालनेमि-मारीच कालनेमि-मारीच, जनेऊ पहन कोट
डीपी सिंह की रचनाएं
।।चुनावी होली।। जोगीरा सा रा रा रा रा… जोगीरा सा रा रा रा रा… हाथ
डीपी सिंह की रचनाएं
मत घबराओ, दूर अँधेरे होते हैं हर रजनी के बाद सवेरे होते हैं जब भास्कर
डीपी सिंह की रचनाएं
दो कोल्हू के पाट हैं, इक ईडी इक जेल आयेगा बाज़ार में, जल्द नवाबी तेल