डीपी सिंह की कुण्डलिया

पीएम पद पर बँट गया, सैंतालिस में देश दिल्ली के मालिक करें, वही नमूना पेश

डीपी सिंह की रचनाएं

न्याय व्यवस्था देश की, बिल्कुल ही है भिन्न तय उत्तर पहले करें, तदनुसार हल भिन्न

पुलवामा हमले की बरसी पर विशेष, डीपी सिंह की रचना

किसी ने फूल दे कर प्यार की सौगन्ध खाई है तिरंगे से वफ़ा मैंने तो

डीपी सिंह की रचनाएं

सत्तर-अस्सी उम्र हो, पिचक रहे हों गाल फिर भी सोलह साल की, लड़की दिखती माल

डीपी सिंह की रचना : विपक्ष चरितम्

।।विपक्ष चरितम्।। आओ! भारत बन्द कराएँ शान्ति, विकास, प्रगति से खेलें, जाति धर्म का ज़हर

डीपी सिंह की रचना : सरस्वती वंदना

।।सरस्वती वन्दना।। वन्दना कर के स्वीकार माँ शारदे वाणी में वीणा जैसी ही झंकार दे

डीपी सिंह की रचनाएं

चीर हरण प्रतिशोध भरा शकुनी का गोरख धन्धा था कृत्य अगर दुर्योधन का तो दुःशासन

डीपी सिंह की रचनाएं

।।अबकी बारी होली में।। ख़ूब चकाचक रङ्ग जमेगा, अबकी बारी होली में… घुला चुनावी नशा

भारत के भाल और मेरे भाल के बीच तुलनात्मक व्यंग्य रचना… डीपी सिंह

।।भारत के भाल और मेरे भाल के बीच तुलनात्मक व्यंग्य रचना।। बाथरूम में मचा हुआ

डीपी सिंह की रचनाएं

सेकुलर सिख इंशा अल्ला बोलकर, किये कलेजे चाक उनसे ही जा कर मिले, सिक्खी रखकर