डीपी सिंह की रचनाएं

सेकुलर सिख

इंशा अल्ला बोलकर, किये कलेजे चाक
उनसे ही जा कर मिले, सिक्खी रखकर ताक
सिक्खी रखकर ताक, दलित का लाभ उठाएँ
हाले-लुइया बोल, कभी जग को भरमाएँ
क्या टीका क्या क्रॉस, वहीं ले बैठो गल्ला
मिलता मोटा माल, जहाँ पर इंशा अल्ला

–डीपी सिंह

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