डीपी सिंह की रचनाएं

चीर हरण प्रतिशोध भरा शकुनी का गोरख धन्धा था
कृत्य अगर दुर्योधन का तो दुःशासन का कन्धा था
बँधे हुए थे भीष्म – द्रोण, प्रण – प्रतिबन्धों, अनुबन्धों में
दृष्टि नहीं, धृतराष्ट्र कदाचित पुत्र – मोह में अन्धा था

–डीपी सिंह

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