भारत के भाल और मेरे भाल के बीच तुलनात्मक व्यंग्य रचना… डीपी सिंह

।।भारत के भाल और मेरे भाल के बीच तुलनात्मक व्यंग्य रचना।। बाथरूम में मचा हुआ

डीपी सिंह की रचनाएं

सेकुलर सिख इंशा अल्ला बोलकर, किये कलेजे चाक उनसे ही जा कर मिले, सिक्खी रखकर

डीपी सिंह की रचनाएं

नपुंसकता या शान्ति की भ्रान्ति? देश में हम थे कभी लावा धधकती क्रान्ति का दौर,

डीपी सिंह की कुण्डलिया

चुनावी कुण्डलिया चीफ़ मिनिस्टर मैं बना, तो होगा यह काम हर घर टोंटी से मिले,

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया दारू-मुर्गा और अब, फ्री बिजली का चाव लोकतन्त्र तो बिक गया, मुफ़्त तन्त्र के

डीपी सिंह की रचनाएं

नेतृत्व के सत्तर साल याद रहे अधिकार मगर कर्तव्य निभाना भूल गये अपने महल बने,

डीपी सिंह की रचनाएं

बेटी दिवस विशेष जब मनुज संस्कारों पॅ इतरायेगा नारी – रक्षार्थ जब गिद्ध भी धायेगा

डीपी सिंह की रचनाएं

अंग्रेज़ी अत्याचार से मचा जो हाहाकार आज़ादी का नारा ले मुखर हुए नेताजी फ़ौज का

डीपी सिंह की रचनाएं

चुनाव-विशेष-5 सर जी ने तो कुर्सी पा ली, वा’दों का अम्बार लगा आस धुली जो

डीपी सिंह की रचनाएं

किरकिरी कैसे आँखों का अञ्जन हुआ सोचिए! कब कहाँ कैसे मन्थन हुआ पटकथा तो कहीं