
नपुंसकता या शान्ति की भ्रान्ति?
देश में हम थे कभी लावा धधकती क्रान्ति का
दौर, पर, आया तभी इक शान्ति जैसी भ्रान्ति का
नाग लिपटे हैं तनों से, जिस समय से, हम सभी
बन गये चन्दन, हुए प्रतिमान संयम- शान्ति का
–डीपी सिंह
Shrestha Sharad Samman Awards
नपुंसकता या शान्ति की भ्रान्ति?
देश में हम थे कभी लावा धधकती क्रान्ति का
दौर, पर, आया तभी इक शान्ति जैसी भ्रान्ति का
नाग लिपटे हैं तनों से, जिस समय से, हम सभी
बन गये चन्दन, हुए प्रतिमान संयम- शान्ति का
–डीपी सिंह