गणतन्त्र दिवस पर पूर्वोतर भारत एवं पश्चिम बंगाल के 26 रचनाकारों का विराट काव्योत्सव

राजतंत्र सीखना है तो रामजी से सीखिए- डॉ. अशोक बत्रा मेरा क्या मैं तो ऐसे

डीपी सिंह की रचनाएं

नपुंसकता या शान्ति की भ्रान्ति? देश में हम थे कभी लावा धधकती क्रान्ति का दौर,

युवा दलित साहित्यकार मंच पं.ब. द्वारा गणतंत्र दिवस की संध्या पर काव्य संगोष्ठी का आयोजन

युवा चर्चित कवि बच्चा लाल ‘उन्मेष’ ने किया कविता पाठ कोलकाता। 73वें गणतंत्र दिवस के

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न

लहरपुर-सीतापुर । पूर्णोदय के कार्यक्रम संयोजक डॉ. अनिल शर्मा अनिल ने बताया कि पूर्णोदय साहित्यिक

संजय जायसवाल की कविता : रूमाल का कोरस

।।कविता-रूमाल का कोरस।। संजय जायसवाल उस दिन जब तुमने चुपके से आंखों की मोतियों को

डीपी सिंह की कुण्डलिया

चुनावी कुण्डलिया चीफ़ मिनिस्टर मैं बना, तो होगा यह काम हर घर टोंटी से मिले,

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया दारू-मुर्गा और अब, फ्री बिजली का चाव लोकतन्त्र तो बिक गया, मुफ़्त तन्त्र के

स्वतंत्रता का मंत्र, हिंदुस्तान का राष्ट्रगीत

।।स्वतंत्रता का मंत्र, हिंदुस्तान का राष्ट्रगीत।। वन्दे मातरम्! सुजलाम, सुफलाम् मलयज-शीतलाम् शस्यश्यामलाम् मातरम् वन्दे मातरम्

डीपी सिंह की रचनाएं

नेतृत्व के सत्तर साल याद रहे अधिकार मगर कर्तव्य निभाना भूल गये अपने महल बने,

गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता

गोपाल नेवार,’गणेश’ सलुवा । 26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस के 73 वर्ष पूर्ण होने के पावन