गोपाल नेवार की कविता : “पिता की दुआ”
पिता की दुआ *रहना सुखी ससुराल में बेटी* *लेती जा दुआ मेरी बेटी ।* *भारी
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “दिन बचपन के”
“दिन बचपन के” *याद* आते हैं अक्सर वो नादानियां वो शैतानियां बचपने की वो गिरना-पड़ना
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो”
“आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो” भई ये क्या गज़ब करते हो तुम सच को
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : जी हां, मैं आम आदमी हूं
*# जी हां, मैं आम आदमी हूं #* उस दिन चाय की दुकान पर हो
कवि. हीरा लाल मिश्र की कविता : बेटी आई है
बेटी आई है। ********** पोपले मुख पर मोटे लेन्स का चश्मा झुर्रियों से भरा शरीर
गोपाल नेवार की कविता : “ज़िन्दगी”
“ज़िन्दगी” ऐ ज़िन्दगी है यारों कठिन है राहें यारों । आसान नहीं मंजिल पाना कभी
दुर्गेश वाजपेयी की कविता : “हे कश्मीर!”
“हे कश्मीर!” हे! कश्मीर तेरी बात क्या करें हम अब, तू खुद ही खुद में
दुर्गेश वाजपेयी की कविता : “अभिशाप बना है”
“अभिशाप बना है” निस्तब्धता से उगा वेग कहाँ देखा? मन में उठे ज्वाला सा तेज
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स्वाति मिश्रा की कविता : “सूरत बनाम सीरत”
“सूरत बनाम सीरत” आइने ने कहा इक दिन, “क्यूं सिर झुकाए बैठी हो? ज़रा मेरी
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विजय कुमार गुप्ता की कविता : “सत्यमेव जयते”
“सत्यमेव जयते” सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते पीछे रह जाओगे असत्य के रहते होगी जीत सत्य