कोरोना काल में हिंदी कविता विषय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
कोलकाता : सांस्कृतिक पुर्निर्माण की ओर से कोरोना काल में हिंदी कविता विषय पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी
रिया सिंह की कविता : “संघर्ष ”
संघर्ष है जीवन तो, संघर्ष भी है अपनों से मिले कुछ दर्द भी है इन
दीपा ओझा की कविता : “काश किसी दिन ऐसा होता”
“काश किसी दिन ऐसा होता” काश किसी दिन ऐसा होता सब कुछ सपने जैसा होता
डॉ. लोक सेतिया की कविता : “कैद”
“कैद” कब से जाने बंद हूं एक कैद में मैं छटपटा रहा हूँ रिहाई के
रिया सिंह की कविता : “हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा ”
हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी से है मेरी आशा हिंदी ने
रिया सिंह की कविता : “किताबों से तब प्रेम करना ”
किताबों से तब प्रेम करना जब लगे तुझे व्यर्थ जीवन किताबों से तब प्रेम करना
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रूम्पा की कविता : “फिर से मुस्कुराएगा हिंदुस्तान”
पूरे विश्व ने चुप्पी साध रखी है हर डगर में घूमता कोरोना उस हिटलर को
पारो शैवलिनी की कविता – अम्फान : प्रकृति की चेतावनी
दिन मंगलवार बंगाल के कई इलाक़ों के लिए अमंगल साबित हुआ। अचानक मौसम ने करवट
मदर्स डे स्पेशल : रूम्पा की कविता – “माँ तुम प्रेरणा हो”
माँ तुम प्रेरणा हो जीवन की, तुम ज्योति हो अंधकार मन की, तुम आशा हो
मदर्स डे स्पेशल : अनुपमा की कविता – “सब तुम हो माँ”
सब तुम हो माँ ईश्वर कहीं है तो वो तुम हो माँ। जन्नत कहीं है