श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो”

“आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो” भई ये क्या गज़ब करते हो तुम सच को

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : जी हां, मैं आम आदमी हूं

*# जी हां, मैं आम आदमी हूं #* उस दिन चाय की दुकान पर हो

कवि. हीरा लाल मिश्र की कविता : बेटी आई है

बेटी आई है। ********** पोपले मुख पर मोटे लेन्स का चश्मा झुर्रियों से भरा शरीर

गोपाल नेवार की कविता : “ज़िन्दगी”

“ज़िन्दगी” ऐ ज़िन्दगी है यारों कठिन है राहें यारों । आसान नहीं मंजिल पाना कभी

दुर्गेश वाजपेयी की कविता : “हे कश्मीर!”

“हे कश्मीर!” हे! कश्मीर तेरी बात क्या करें हम अब, तू खुद ही खुद में

दुर्गेश वाजपेयी की कविता : “अभिशाप बना है”

“अभिशाप बना है”  निस्तब्धता से उगा वेग कहाँ देखा? मन में उठे ज्वाला सा तेज

1 Comments

स्वाति मिश्रा की कविता : “सूरत बनाम सीरत”

“सूरत बनाम सीरत” आइने ने कहा इक दिन, “क्यूं सिर झुकाए बैठी हो? ज़रा मेरी

1 Comments

विजय कुमार गुप्ता की कविता : “सत्यमेव जयते”

“सत्यमेव जयते” सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते पीछे रह जाओगे असत्य के रहते होगी जीत सत्य

अजय तिवारी ” शिवदान ” की कविता : ” ठूंठ “

” ठूंठ “ लहलहाता था, छाया भी देता था। हवा बहाता था, ठंड पहुंचाता था।

1 Comments

दीपा ओझा की कविता :  “मैं स्त्री हूँ”

 “मैं स्त्री हूँ” मैं स्त्री हूँ सुना था कभी लोगों से देवी स्वरूप हूँ क्योंकि