डीपी सिंह की कुण्डलिया

बैठे हैं नव वर्ष में, जाल लिए मुस्तैद। जैसे गुजरेगी ख़ुशी, कर लेंगे हम क़ैद।।

गोपाल नेवार की कविता : “फूल की सादगी”

“फूल की सादगी” ************** पौधों की शान हूँ मैं कली से फूल में परिवर्तित होकर

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “शैतान के अपने लगते हो”

“शैतान के अपने लगते हो“ तुम नजरें तो आसमान पर रखते हो पर ये क्या

अर्चना पांडेय की कविता : “आईना”

“आईना” आईना तुम हर बार झूठ बोलते हो , तुम्हारा तो टूट जाना ही अच्छा

अर्जुन तितौरिया की कविता : आज का कुरुक्षेत्र

*आज का कुरुक्षेत्र* वो कहते हैं हार मानलो हे अर्जुन मैं कहता हूं हार, अभी

डॉ रश्मि शुक्ला की कविता : “सांता क्लाज़ की आभिलाषा”

“सांता क्लाज़ की आभिलाषा” नया साल में नए निर्माण में सबको नये संकल्प लेना चाहिये।

गोपाल नेवार की कविता : “आहत पिता”

“आहत पिता”  *********** सभी पिता की भांति आशा की किरण मेरे मन-प्रांतर में भी फूटी-

रामा श्रीनिवास ‘राज’ की कविता

सेवक हूँ निज देश का, विश्व करे #पहचान, विस्मय चकित तथ्य सभी, भारत अपनी शान।1.

अर्जुन अज्जू तितौरिया की कविता : “मातृभूमि”

“मातृभूमि” ये भूमि मात्र भूमि नहीं, मातृभूमि है, इसका वंदन धर्म का अभिनंदन है। सनातन

दुर्गेश बाजपेयी की कविता : निशा के आते ही

निशा के आते ही दिवाकर के छिपते संग ही, वो दबे पाँव आ जाती है,