डीपी सिंह की रचनाएं…
नैन गड़ाइ न ढूँढ़ि सकै कहुँ अन्धन हाथ बटेर लगावै दीन मलीन दसा कतहूँ कहुँ
बद्रीनाथ की कविता : “नारी तुम सम्मान हो”
नारी तुम सम्मान हो नारी तुम सम्मान हो हर पुरुष में शक्ति सी विद्धमान हो
डीपी सिंह की रचनाएं
।।चुनावी होली।। जोगीरा सा रा रा रा रा… जोगीरा सा रा रा रा रा… हाथ
गोपाल नेवार की कविता : भारतवासी है हम
।।भारतवासी है हम।। गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा कहते है भारत का रहने वाला भारतवासी है हम।
डीपी सिंह की रचना : विपक्ष चरितम्
।।विपक्ष चरितम्।। आओ! भारत बन्द कराएँ शान्ति, विकास, प्रगति से खेलें, जाति धर्म का ज़हर
डॉ. तेजस्विनी दीपक पाटील की कविता देहरी
देहरी उस देहरी के बाहर कदम रखा, और इस देहरी के अंदर आ गई। इन
डीपी सिंह की रचनाएं
कॅरोना की सीख रूप, दौलत और शोहरत का नशा मत कीजिए त्रोण में शर, म्यान
दुर्गेश बाजपेई की कविता प्रणय अशेष
प्रणय अशेष कभी बाग की हरियाली में कभी श्वेत अंबर डाली में छिपा हुआ वो
सोनम यादव की कविता
कहाँ आ गये चलते चलते और कहाँ जाना भूल गए धरती की खुशबू चिड़ियों का
राष्ट्रीय कवि संगम की दूसरी मासिक काव्य-गोष्ठी सम्पन्न
कोलकाता, 28 नवंबर : कृष्णपक्ष नवमी के अवसर पर ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ की मध्य कोलकाता