संस्थाएं राष्ट्रवाणी के साथ-साथ राष्ट्रीयता का विकास कर रही हैं- प्रो.शर्मा

उज्जैन । राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आभासीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका

पुलवामा हमले की बरसी पर विशेष, डीपी सिंह की रचना

किसी ने फूल दे कर प्यार की सौगन्ध खाई है तिरंगे से वफ़ा मैंने तो

गोपाल नेवार की कविता : भारतवासी है हम

।।भारतवासी है हम।। गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा कहते है भारत का रहने वाला भारतवासी है हम।

लेखिका मनोरमा पंत से एक मुलाकात वरिष्ठ पत्रकार राजीव कुमार झा के साथ

भोपाल की पुरानी कवयित्रियों में मनोरमा पंत का नाम महत्वपूर्ण है। साहित्य के कई दौर

राबेन्द्र नामदेव की कविता : बेवफा

।।बेवफा।। राबेन्द्र नामदेव यूं ना सितम ढाता उम्र मेरे जिन्दगी में। जीने की उम्र ही

राष्ट्रीय महिला दिवस पर आभासी संगोष्ठी में महिला एवं हिन्दी साहित्य पर चर्चा

उज्जैन । राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 182वीं आभासी संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय महिला दिवस पर

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित परिचर्चा सफलता पूर्वक संपन्न

अंकित तिवारी, प्रयागराज । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया।

राजीव कुमार झा की कविता : मन की बात

।।मन की बात।। राजीव कुमार झा तुम कोई बात आज बताओ! जो याद तुम्हें नहीं

ईश्वर, कवि और ये दुनिया

प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” । जैसे कोई आधा भरा हुआ पानी का लौटा खंगालता है,

डीपी सिंह की रचनाएं

सत्तर-अस्सी उम्र हो, पिचक रहे हों गाल फिर भी सोलह साल की, लड़की दिखती माल