संस्थाएं राष्ट्रवाणी के साथ-साथ राष्ट्रीयता का विकास कर रही हैं- प्रो.शर्मा

उज्जैन । राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आभासीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय था – “अखिल भारतीय हिंदी समर्थक साहित्यिक संस्थाएं और पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन के संदर्भ में” इस आयोजन में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना मंतव्य देते हुए कहा कि,- अगर हिंदी को विश्वव्यापी बनाना है तो, हिंदी को कम्प्यूटर से जोड़ कर कार्य करना होगा। जिससे रोजगार सृजन का अवसर प्रदान किया जा सके। मुख्य अतिथि – शरद चन्द्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे ने कहा कि – पत्रकारिता वही है जो, नई जानकारी लेकर आए। स्वयं सूचना एकत्रित करें। परोसी गई सूचनाओं पर विश्वास ना करें। भारत हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हम भी संयुक्त राष्ट्र संघ के रेडियो को सुनें।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. शहावुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, राष्ट्रीय संयोजक राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि, दो प्रकार की संस्थाएं हिंदी प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रही हैं। कुछ सरकारी अनुदान पर हैं। कुछ अपने बलबूते पर कार्य कर रही है। राष्ट्रभाषा पुणे में भी राष्ट्र वीणा के नाम से संशोधन आलेख छपते हैं। हरेराम वाजपेई अध्यक्ष हिंदी परिवार इंदौर ने कहा कि – हिंदी में आकाशवाणी के माध्यम से सीखा कि समय बद्धता, शुद्ध उच्चारण और आरोह अवरोह के साथ किस प्रकार अपनी बात कही जानी चाहिए। मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति की पत्रिका वीणा के बारे में चर्चा की और कहा कि उज्जैन विश्वविद्यालय में हस्तलिपियां भी रखी हुई हैं।

डॉ. हरि सिंह पाल, महामंत्री नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली ने कहा कि- हिन्दी के लिए साहित्य भारती, संस्कृति भारती, चित्र भारती, युवा भारती आदि पांच पत्रिकाओं के प्रकाशन का दायित्व मुझे मिला और मैं तमिल, केरल, गुवाहाटी प्रदेशों से लेख मंगवाता था। आज भी नागरी संगम पत्रिका विश्व की एकमात्र पत्रिका है जो कि नागरी लिपि के लिए प्रकाशित होती है और अंतरराष्ट्रीय सौरभ पत्रिका में कनाडा, अमेरिका आदि से लेख मंगाकर छापते हैं। इन सभी पत्रिकाओं एवं अन्य अनेक पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया है।

सुवर्णा जाधव कार्यकारी अध्यक्ष, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि – पत्र पत्रिकाओं ने समय के साथ-साथ चलते हुए ईमेल और व्हाट्सएप पर भी समाचार भेजना शुरू किया है। भारतीय राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू जी के जन्म दिवस पर मनाया जाता है। उस पर भी चर्चा की। डॉ. अनुसुइया अग्रवाल राष्ट्रीय संयोजक, छत्तीसगढ़ ने कहा कि, भारतेंदु जी ने कहा था- निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल और कहा कि राजधानी की पत्रिकाएं विश्व स्तरकी पत्रिकाओ को टक्कर दे रही हैं। डॉ. शेख शहनाज ने – काशी नागरी प्रचारिणी सभा का उद्देश्य बताया और कहा कि केंद्रीय संस्थाओं द्वारा साहित्य के सभी अंगों को उन्नत किया जा रहा है। साथ ही साथ गांधी जी को भी याद किया और राष्ट्रभाषा समिति वर्धा का राष्ट्रभाषा के प्रचार प्रसार में योगदान को रेखांकित किया।

राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक ने कहा कि – संस्थाएं भाषा के प्रचार प्रसार में सहयोगी हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, धार्मिक सभी की उन्नति के लिए भारतेंदु जी के समय स्थापित हुईं। उन्होंने स्त्री, दलित आदि के लिए भी कार्य किए। साहित्य और साहित्यकार को मंच देने में पत्र-पत्रिकाएं का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। माधवराव सप्रे जी ने पत्रिका के माध्यम से खंडन मंडन समीक्षात्मक पद्धति की शुरुआत की थी। डॉ. अरुणा शुक्ला ने कहा कि- उत्तर प्रदेश सरकार भाषा विभाग के अधीन में संस्थाएं कई पुरस्कार प्रदान करती हैं। विभिन्न योजनाओं के लिए अनुदान प्राप्त किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को पहुंचाने के लिए कार्य कर रही हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. रश्मि चौबे, मुख्य महासचिव महिला इकाई, गाजियाबाद द्वारा सरस्वती वंदना से की गई। स्वागत भाषण संस्था महासचिव डॉ. प्रभुचौधरी के द्वारा दिया गया और उन्होंने राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई भी दी। प्रस्तावना डॉ. रोहिणी डाबरे जी ने दी संचालन डॉ. मुक्ता कौशिक और आभार व्यक्त डाक्टर प्रवीणबाला पटियाला महासचिव पंजाब ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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