।।बेवफा।।
राबेन्द्र नामदेव
यूं ना सितम ढाता उम्र मेरे जिन्दगी में।
जीने की उम्र ही कम पड़ गयी जिंदगी में।
जिन्दगी में तुमने दिये है बहुत घाव मुझे।
जिन्दगी ही कम लगने लगी जिन्दगी में।
दिल लगा कर मुझसे नजरें चुराने लगे हो।
क्या तुम किसी और से प्यार करने लगे हो।
क्या मिल गया है मुझसे ज्यादा चाहने वाला।
जो तुम मुझको अब भूल जाने लगे हो।
मचला था दिल मेरा उसे पाने को।
बिना अपराध के सजा पाने को।
कभी उसे पाने बगावत करते थे।
अब हर घडी सोचते हैं उसे भूल पाने को।
दिल में लगी आग को बुझाएगा कौन।
मेरे लिए मेरे सनम को मनाएगा कौन।
उसकी एक खबर पाने को बेचैन है दिल।
मेरे बेचैन दिल को उसका हाल सुधारेगा कौन।

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