डीपी सिंह की रचनाएं
।।राज-धर्म।। जिनके कुकृत्य ख़ुद चीख चीख बोलते हैं पार्टियाँ ही वही राजनीति भी सिखाती हैं
डीपी सिंह की रचनाएं
बालकों को कूल डूड, बालिकाएँ हॉफ न्यूड सेक्सी हॉट जैसे व्यवहार न सिखाइये दीपिका करीना
डीपी सिंह की रचनाएं
।।परिवर्तन।। (1) पहले तो सरकारें बनती बिगड़ती थीं प्याज वाले आँसुओं के भाव के बहाव
प्रतिभा जैन की कविता : दाता एक राम
।।दाता एक राम।। दाता एक राम है दुःख में खूब याद आए हैं सुख में
डीपी सिंह की रचनाएं
टीवी पॅ ख़बर चली, बात सबको ये खली अब कोई नज़रों का तारा ही नहीं
डीपी सिंह की रचनाएं
माथे पे मयूर पंख, होठों पे मुरलिया है मृग-सा सरल तन, मन है मृगेन्द्र का
डीपी सिंह की रचनाएं
काशी बोले बम बम डमरू की डम डम हर ओर हर हर की ही ध्वनि
क्यूं रुके हैं तेरे शिथिल चरण
।।क्यूं रुके हैं तेरे शिथिल चरण।। रुक गए जो तेरे शिथिल चरण मृत्यु का होगा
डीपी सिंह की रचनाएं
।।जय श्री राम।। बिगड़े बनेंगे काम आइये अवध धाम जहाँ राम-नाम मय अनमोल थाती है
डीपी सिंह की रचनाएं
जनता को भरमाया, शिक्षा-नीति ने चढ़ाया भारत के युवाओं को नौकरी के झाड़ पे जोड़