अर्जुन अज्जू तितौरिया की कविता : “मातृभूमि”
“मातृभूमि” ये भूमि मात्र भूमि नहीं, मातृभूमि है, इसका वंदन धर्म का अभिनंदन है। सनातन
दुर्गेश बाजपेयी की कविता : निशा के आते ही
निशा के आते ही दिवाकर के छिपते संग ही, वो दबे पाँव आ जाती है,
गोपाल नेवार की कविता : “मेरी माँ”
मेरी माँ ********* माँ मेरी माँ मैं तेरी लाड़ली हूँ माँ बेशक मैं तेरी छोटी
गोपाल नेवार की कविता : “दो बूंद विष”
“दो बूंद विष” **** मृत्यु से डरता नहीं है वह न ही डरता है किसी
गोपाल नेवार की कविता : “नारी”
“नारी” ***** नारी की जीवन गाथा एक अज़ीब सी है, गुपचुप मौन रहकर बहुत कुछ
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : ”जुगनू भी अंधेरा दूर करता है”
”जुगनू भी अंधेरा दूर करता है” वक्त ही नहीं बदलता है आदमी भी तो बदलता
अर्चना पांडेय की कविता : “दरबान जी”
“दरबान जी” दरबान जी, दरबान जी, दरबान जी, जहाँ देखो, दिखेंगे ये दरबान जी। बड़े साहब,
कवि. हीरा लाल मिश्र की कविता : “स्वीकृति”
“स्वीकृति” ********* पश्चिमीकरण की अंधी टाँगे सुरसा के मुख की भाँति विस्तार की सीमा लाँघ
गोपाल नेवार की कविता : “फौजी जवान”
फौजी जवान **** हम देश की धड़कन है हम देश की हलचल है हम कोई
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “भाग-दौड़ जीवन के”
भाग-दौड़ जीवन के *भागते* तब भी थे भागते अब भी है कितना बदल गया है