डॉ. अखिल बंसल की कविता : आया बसंत
।।आया बसंत।। डॉ. अखिल बंसल बसुधा पर लहराया बसंत आया बसंत, आया बसंत। ऋतुराज प्रकृति
भावाञ्जली और तिरंगा काव्य मंच की संयुक्त पेशकश बसंत की फुहार काव्य गोष्टी
मन बसंती हो गया कानन बसंती हो गया:- मधु मधुमन कोलकाता । भावांजलि और तिरंगा
डीपी सिंह की रचना : सरस्वती वंदना
।।सरस्वती वन्दना।। वन्दना कर के स्वीकार माँ शारदे वाणी में वीणा जैसी ही झंकार दे
रीमा पांडेय की कविता : सरस्वती वंदना
।।सरस्वती वंदना।। रीमा पांडेय स्वर मेरा सजा दिया तूने शारदे चरणों में बिठा लिया तूने
राजीव कुमार झा की कविता : सुंदर सवेरा
।।सुंदर सवेरा।। राजीव कुमार झा सुबह की रोशनी सबको जगाती बाहर बुलाती। हर घर उजाले
मनोरमा पंत की कविता : नव नवल नूतन
।।नव नवल नूतन।। मनोरमा पंत भोपाल कल रात से ही, ज़मी से लेकर, आसमाँ तक
डीपी सिंह की रचनाएं
।।अबकी बारी होली में।। ख़ूब चकाचक रङ्ग जमेगा, अबकी बारी होली में… घुला चुनावी नशा
राजीव कुमार झा की कविता : रात की नदी
।।रात की नदी।। राजीव कुमार झा उदासी के बाद कितने दिन चले आते खत्म हो
सामयिक परिवेश हिंदी पत्रिका ने मनाया विराट ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय महिला कवि सम्मेलन
मध्यप्रदेश । सामयिक परिवेश हिंदी पत्रिका के संपादक सह राष्ट्रीय सलाहकार श्याम कुंवर भारती का
‘पहली poetry’ का आगाज– युवाओं की आवाज
कोलकाता । दिन शनिवार के गोधूलि बेला पर ‘पहली poetry’ पटल पर प्रथम ‘युवा काव्य