गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : जीवन के सफर

।।जीवन के सफर।।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा

आते है सुख के पल
फिर निकल जाते है,
आते है दु:ख के पल
वो भी निकल जाते है,
ज़िन्दगी ठहरते नहीं कभी
सुख-दु:ख के पड़ाव में,
इस सफर में हर कोई
हँसकर, रोकर निकल जाते है।

मालूम है जीवन के सफर में
मुश्किलें बहुत ही होता है,
कभी खुशी कभी गम यही
जीने का एक बहाना होता है,
कुछ देकर कुछ लेकर ही सही
ज़िन्दगी को बिताना होता है,
चाहे मानो या ना मानो
आना-जाना ही जीवन होता है
आना-जाना ही जीवन होता है।

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