पुलवामा हमले की बरसी पर विशेष, डीपी सिंह की रचना

किसी ने फूल दे कर प्यार की सौगन्ध खाई है तिरंगे से वफ़ा मैंने तो

राबेन्द्र नामदेव की कविता : बेवफा

।।बेवफा।। राबेन्द्र नामदेव यूं ना सितम ढाता उम्र मेरे जिन्दगी में। जीने की उम्र ही

राजीव कुमार झा की कविता : मन की बात

।।मन की बात।। राजीव कुमार झा तुम कोई बात आज बताओ! जो याद तुम्हें नहीं

डीपी सिंह की रचनाएं

सत्तर-अस्सी उम्र हो, पिचक रहे हों गाल फिर भी सोलह साल की, लड़की दिखती माल

रीमा पांडेय की कविता : वक्त

।।वक्त।। रीमा पांडेय तुम न आए तो बुरा होता है दिल ये दिल से ही

कोमल शुक्ला की कविता : दामिनी

।।दामिनी।। कोमल शुक्ला वो 16 दिसम्बर की रात, जब कुछ न था उसके हाथ, खुशी

गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : जीवन के सफर

।।जीवन के सफर।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा आते है सुख के पल फिर निकल जाते

डॉ. अखिल बंसल की कविता : आया बसंत

।।आया बसंत।। डॉ. अखिल बंसल बसुधा पर लहराया बसंत आया बसंत, आया बसंत। ऋतुराज प्रकृति

भावाञ्जली और तिरंगा काव्य मंच की संयुक्त पेशकश बसंत की फुहार काव्य गोष्टी

मन बसंती हो गया कानन बसंती हो गया:- मधु मधुमन कोलकाता । भावांजलि और तिरंगा

डीपी सिंह की रचना : सरस्वती वंदना

।।सरस्वती वन्दना।। वन्दना कर के स्वीकार माँ शारदे वाणी में वीणा जैसी ही झंकार दे