राजीव कुमार झा की कविता : गुलमोहर
।।गुलमोहर।। राजीव कुमार झा धूप में कितने रंगबिरंगे फूल खिल उठे हैं! गुलमोहर की डालियों
डीपी सिंह की रचनाएं
जन्म मिलता है हमें जैसा है प्रारब्ध किन्तु मन वाणी गुण कर्म प्रतिष्ठा बढ़ाते हैं
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की रचना : जिद्दी बनो
।।जिद्दी बनो।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा देश की परिस्थिति ऐसे हो गए है अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे
प्रतिभा जैन की रचना : विदाई
।।विदाई।। बेटी आज पराई हो चली मेरी नन्ही सी कली आज महक छोड़ चली खेल-खेल
कहता है श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ – शब्दों का शुक्रगुजार हूं मैं
।।शब्दों का शुक्रगुजार हूं मैं।। कभी कभी मुझे ये खयाल आता है कि… किंचित ही
डीपी सिंह की रचनाएं…
बात बात में (मनहरण घनाक्षरी छन्द) बात जो निकलती है, दूर तक जाती है वो
प्रतिभा जैन की कविता : समझौता
समझौता आहत तो बहुत हुआ है, दिल जो तुमने तोड़ा है, छिड़क कर नमक जख्मों
कहता है श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ : खुद से बात नहीं हो पाती…
कभी कभी खुद से बातें करने को बहुत जी चाहता है चाहता हूं कुछ ऐसा
प्रतिभा जैन की कविता : प्यार
।।प्यार।। कितना मुस्किल है एक तरफा प्यार मे दिल को समझाना न ख़बर तुमको देते
किसान नही तो साहेब तुम भी भूखे मर जाओगे
किसान नही तो साहेब तुम भी भूखे मर जाओगे देख सभी को रोटी देने वाला