रिया सिंह की कविता : “पण्डित जी”
“पण्डित जी” धर्म का चोला पहनकर अधर्म वो करते रहते हैं, कुछ पण्डित ऐसे भी
तारकेश कुमार ओझा की कविता : “घर में रहता हूं”
“घर में रहता हूं” लॉक डाउन है, इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूं .
रिया सिंह की कविता : “जगत जननी”
“जगत जननी” जिसके सपने टूट कर भी, एक आशा लेकर जारी है गुणों से युक्त
तारकेश कुमार ओझा की कविता : “खुली आंखों का सपना”
खुली आंखों का सपना ….!! सुबह वाली लोकल पकड़ी पहुंच गया
कोरोना काल में देश की वर्तमान परिस्थितियों पर पेश है खांटी खड़गपुरिया की चंद लाइनें ….
सड़कें हैं, सवार नहीं ….!! बड़ी मारक है, वक्त की मार हिंद में मचा यूं
रिया सिंह की कविता : “गौ हत्या”
“गौ हत्या” पाप से तुमको डर नहीं लगता? इतना सच सच कहना तुम। हे मनुष्य
रिया सिंह की कविता : “अबकी बारिश”
“अबकी बारिश” ये आसमाँ में उमड़ कर जमी पर बिखर जाते हैं ये बारिश है
जो देश में हो वो होने दो ( ग़ज़ल ) : डॉ लोक सेतिया “तनहा”
जो देश में हो वो होने दो जो देश में हो वो होने दो ,
रिया सिंह की कविता : “हे प्रभु”
“हे प्रभु” क्या मिट जाएगा देश हमारा? वर्षों से जो हमको प्यारा, क्या रैन अब
खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में वेब संगोष्ठी एवं काव्यपाठ
कोलकाता : कोलकाता के प्रतिष्ठित कॉलेज खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की ओर से वेब संगोष्ठी