।।चांद का सफर।।
राजीव कुमार झा

इस उम्र में आकर
अब जीवन
कितने सालों के बाद
यहां खुशहाल बना
किसको तुमने
अपने बारे में
कुछ कभी कहा।
हम साहस से
सारे रिश्तों को
देखें जाने और
निभाएं
सोने से पहले
तुमको केवल
अपने मन की
कोई बात बताएं
आनेवाले
इस ग्रीष्म ऋतु में
बाहर कहीं घूमने
जाएं
किसी झील में
खूब नहाएं
शाम में डूबकी लेकर
जंगल में रात बिताएं
गहरी धारा में
भंवर बनाएं
चांद को अपने पास
बुलाएं
धरती की गहराई में
जाकर सो जाएं
सुबह गीत बनकर
रिमझिम धूप की
पहली फुहार में
हम गीत सुनाएं
दरवाजे पर आकर
तुमको पास बुलाएं।

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक
Shrestha Sharad Samman Awards

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here