राजीव कुमार झा की कविता : बीता पहर

।।बीता पहर।।
राजीव कुमार झा

यौवन की छटा
तुम्हारी मुस्कान भी
निराली
मादक हो गये
सारे अंग प्रत्यंग
तुमने नजारे
मस्त जवानी के
अकेले दिखाए
आज गोरी
घर के भीतर
चांद निकल आये
मन के बाग में
आकर
हवा गीत गाये
तुम्हारे पास
सारे सुख समाए
चांदनी रात में
जिंदगी का उजाला
अमराई में
फैली हुई छाया
रसीली अदाएं
झकझोर जाती
आज तुम सबकुछ
बताती
कोई बीता पहर
याद आया

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *