विनय सिंह बैस की कलम से : गुप्ता जी ग्वालियर वाले!!
रायबरेली। हमारे मित्र गुप्ता जी बहुत ही समझदार और कोमल प्रकृति के व्यक्ति हैं। वह
कविताई की एक शाम -2 में दिखा गंगा-जमुनी तहजीब का संगम
हिन्दी-उर्दू के रचनाकारों ने बटोरी वाहवाही, संगीत की महफिल ने भी जमाया रंग कोलकाता :
डॉ. आर.बी. दास की रचना
किस्मत सखि नहीं फिर भी रूठ जाती है… बुद्धि लोहा नहीं फिर भी जंग लग
सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला और संगोष्ठी का भव्य समापन
कोलकाता, (Kolkata) : काजी नजरुल विश्वविद्यालय, आसनसोल और उमा फाउंडेशन, नैहाटी के संयुक्त तत्वावधान में
श्री गोपाल मिश्र की रचना : स्वप्न- संजीवनी
।।स्वप्न- संजीवनी।। इस तरह न मुझे झकझोर हे प्रहरी! सुषुम्ना व जागृति के बीच थिरकती
रूबी और आलोक : अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान
(अंतिम किस्त) अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। सालों बाद…एक अधूरा एहसास, रूबी की शादी के बाद
डीपी सिंह की रचना
।।डीपी सिंह की रचना।। न्याय की देवी की आँखों पर से पर्दा हट गया मुद्दई
आजादी जीवन जीने की बुनियादी शर्त है : प्रो.कुमुद शर्मा
संवाद सूत्र, कोलकाता : साल्ट लेक स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता
डॉ. आर.बी. दास की रचना
पता नहीं लोग इतनी चालाकियां क्यों करते हैं… साथ रहते भी हैं, जलते भी हैं,
अशोक कुमार वर्मा “हमदर्द” की कविता : हमार भोजपुरी
।।हमार भोजपुरी।। अशोक कुमार वर्मा “हमदर्द” हल जोते केहू, फसल काटे केहू, पसीना बहाके अनाज