राजीव कुमार झा की कविता : जिंदगी

।।जिंदगी।।
राजीव कुमार झा

रास्ते में
तुम्हारे साथ
आज कोई नहीं
आया
तुमने रुककर
दोस्त को फिर
अपने पास
नजर भरकर
बुलाया
तुम्हारे मंजिल पर
अब कोई आकर
साथ जाना चाहता
शाम की झील
धूप में चमकती
फागुन की दुपहरी
हवा के संग
हंसती
तुम्हारे अंग-अंग में
थिरकती

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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