विनय सिंह बैस की कलम से… संस्मरण, गुरु पूर्णिमा पर विशेष
विनय सिंह बैस । बैसवारा सदियों से कलम और तलवार का धनी क्षेत्र रहा है।
जो दिखता है वैसा होता नहीं…
प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ । ‘लिखना’ और वैसा ‘होना’ दो अलग बातें हो सकती
विनय सिंह बैस की कलम से… आजकल के फूहड़ और कानफोड़ू फिल्मी गीत!
नई दिल्ली । आजकल के फूहड़ और कानफोड़ू फिल्मी गीत मैं सुनता नहीं हूं और
सेवा का सबसे बड़ा अधिकारी हमारा मन ही है! डॉ. विक्रम चौरसिया
डॉ. विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली । ध्यान से देखा जाए तो आज हर इंसान को
अग्निवीर क्यों बने? अग्निपथ पर सुलगते सवाल
डॉ. विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली । हम चैन से सोते हैं क्योंकि कोई जाग कर
सुंदरता : प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”
प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ । सुंदर हर कोई है पर मनुष्य जाति का दिमाग
आत्मा की शुद्धता से संसार में सिद्धि मिलती है!
राजीव कुमार झा, बिहार । भारतीय जीवन दर्शन में आत्मा को को जीवन का मूलतत्व
नालायक नेता व अधिकारी कब रद्द होंगे?
डॉ.विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली । सोचकर देखो बहुत दूर सेंटर हो बसो व ट्रेनों में
हम सभी में बसा है एक शिशु…
प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ। आज एक छोटे बच्चे का गाया शिव ताण्डव स्तोत्र सुन
आत्मबोध : सुधीर श्रीवास्तव
सुधीर श्रीवास्तव, गोण्डा उत्तर प्रदेश । हमारे जीवन में बहुत बार कुछ ऐसा हो ही