डीपी सिंह की कविता : “बेटी”
*बेटी* ===== है कलम व्यग्र इतिहास लिखते हुए बच्चियों की व्यथा, त्रास लिखते हुए वह
इंडियन आर्मी डे पर कविता : खुशबू
खुशबू बख्तरबंद गाड़ियों खुली जीपों में किसी का बेटा किसी का पिता किसी का पति
इंडियन आर्मी डे पर कविता : जांबाज सिपाही
जांबाज सिपाही घुसपैठ की साहस कभी न करना सरहदों की निगरानी करता हूँ मैं, अरे
खड़गपुर बोई मेला में हिंदी कवि सम्मेलन
दिनांक 12 जनवरी 2021 की पावन संध्या में खड़गपुर में कोरोनाकाल के घटते प्रभाव के
प्रमोद तिवारी की कविता : तहज़ीब
तहजीब अब मैं नीलकंठ से नहीं पूछता, मेरे परीक्षा का परिणाम क्या होगा, बचपन में
डीपी सिंह की कविता : “भाई चारा”
“भाई-चारा” ———— आज कलम तेरी जय-जय हो, तू ऐसा कुछ ख़ास लिखे भारत की आवाज
डॉ निर्मला राजपूत की कविता : हां मैं हिंदुस्तानी नारी हूं
हां मैं हिंदुस्तानी नारी हूं हां मैं हिंदुस्तानी नारी हूं समाज के अत्याचार की मारी
गोपाल नेवार की कविता : “कोरोना का पाठ”
कोरोना का पाठ ************** अदृश्य वायरस कोरोना से परेशान है दुनिया सारा, दर्ज हो चुका
प्रमोद तिवारी की कविता : और गलत तू भी नहीं
और गलत तू भी नहीं जानते तुम भी थे, समझता मैं भी था, फिर क्यों
अर्जुन तितौरिया की कविता : दहेज
*दहेज* दहेज के लिए लड़को की, लगती यहां मंडी है। निशदिन यहां नववधू को, जलाया