।।कौन ढूंढे।।
डॉ. आर.बी. दास
अब कौन रोज-रोज भगवान ढूंढे,
जिसको मिले वही ढूंढे,
रात आई सुबह भी होगी,
आधी रात में कौन सुबह ढूंढे,
जिंदगी है जी खोल कर जियो,
रोज रोज क्यों जीने की वजह ढूंढे,
चलते फिरते पत्थरों के शहर में,
पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढे,
धरती को स्वर्ग बनाना है अगर,
हर शख्स पहले खुद में इंसान ढूंढे…
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