डॉ. आर.बी. दास की कविता : क्या राष्ट्र धर्म

।।क्या राष्ट्र धर्म।।
डॉ. आर.बी. दास

चल उठ नेता तू छेड़ तान!
क्या राष्ट्र धर्म!
क्या संविधान!
तू नए नए हथकंडे ला!
वश में अपने कुछ गुंडे ला!
फिर ऊंचे ऊंचे झंडे ला!
हर एक हाथ में झंडे ला!
फिर ले जनता की ओर तान!
क्या राष्ट्र धर्म!
क्या संविधान!
इस लहर में खिलते चेहरे क्यों!
आपस में रिश्ते गहरे क्यों!
घर घर खुशहाली चेहरे क्यों!
झूठों पर सच के पहरे क्यों!
आपस में लडवा, तभी जान!
क्या राष्ट्र धर्म!
क्या संविधान!
तू अन्य दलों को गाली दे!
गंदी से गंदी वाली दे!
हरपल कोई घात निराली दे!
फिर दांत दिखाकर ताली दे!
फिर गा “मेरा भारत महान”
क्या राष्ट्र धर्म!
क्या संविधान!
प्रतिपक्ष पर अनगिनत खोट लगा!
ना सम्हाल सके ऐसा चोट लगा!
कुछ भी कर काले नोट लगा!
हर तरफ वोट की गोट लगा!
कुर्सी ही अपना लक्ष्य मान!
क्या राष्ट्र धर्म!
क्या संविधान!

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डॉ. राम बहादुर दास
सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)

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