कोरोना पर सुनिता की कविता : बेबसी और मानवता

ऊंची इमारतें, नीला आसमान
चौड़ी सड़के हैं सुनसान
बमुश्किल मिल रही रोटी बासी
देश कोरोना से परेशान ।

भुखमरी से लोग बेहाल
गठरियाँ बांध पलायन को तैयार
साथ में बच्चे भूख से बिलखते
सरकारी नीतियां हो रही कंगाल।

मजदूर की मजदूरी छूटी
छूट गया घर संसार ।
देश असहाय है पड़ा
डॉक्टर बने ईश्वर अवतार ।

मानवता को बचाने
पूर्ण समर्पित चिकित्सीय कार्य
धर्म जाति का विद्वेष त्याग
खड़े है ये मौत के द्वार ।

आओ लड़े कोरोना से हम
घर पर रहे सुरक्षित संसार
सच्चे अर्थों में है यही
कोरोना वारियर्स का सच्चा सत्कार ।।

-सुनीता कुमारी साव

चम्पदानी हुगली छात्रा- हिंदी विभाग (प्रथम वर्ष) कलकत्ता विश्वविद्यालय

 

 

 

 

 

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