हिंदी कविताएं

घनी अंधेरी रातों में
उड़ते देखा है
जूगनू को,
लघु दीप का पुंज लिए
उड़ती फिरती रहती वह
अंधेरी काली रातों में
अल्प प्रकाश बिखेरती
छाँट नहीं पाती
रात की अंधियारी को
पर
नहीं रुकता उसका जलना।
नहीं रुकता उसका लड़ना ।।

-दिनेश लाल साव

कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी
Shrestha Sharad Samman Awards

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