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काशी बोले बम बम डमरू की डम डम
हर ओर हर हर की ही ध्वनि आती है
मोह-माया काल -जाल काटते हैं महाकाल
उनकी कृपा से यहाँ जनता अघाती है
कष्टों की हरण-युक्ति, जीवन-मरण-मुक्ति
जानने की तृष्णा मणिकर्णिका पे लाती है
सुरसरि घाट पे जो शाम धुँधलाती है तो
गङ्गा आरती की छटा मन हर जाती है
–डीपी सिंह