डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया

नालायक जो देश को, गुटका करता पेश
उसे महानायक कहे, पूजे सारा देश
पूजे सारा देश, नार उसकी भरमाए
निज थाली में छेद, नजर उसको कब आए
डीपी क्यों दे दोष, कहे उनको खलनायक
हमने ही आदर्श, बनाए जब नालायक

डीपी सिंह

 

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