खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा की चंद लाइनें ….
पहले से जिंदा लाश की तरह जीने वाले समाज के गरीब तबके की जिंदगी को
काला धन से कोरोना तक ( व्यंग्य-कथा ) : डॉ लोक सेतिया
बात दो राक्षसों की कहानी की है कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले हुई। हर
आत्मनिर्भरता की पढ़ लो पढ़ाई ( हास-परिहास ) : डॉ लोक सेतिया
शहंशाह का मूड आज बदला बदला है आज खास बैठक में बात आत्मनिर्भर बनाने की
रिया सिंह की कविता : “पण्डित जी”
“पण्डित जी” धर्म का चोला पहनकर अधर्म वो करते रहते हैं, कुछ पण्डित ऐसे भी
मां ने कहा है बेटा बहु को ले आओ ( कहानी ) : डॉ लोक सेतिया
चिट्ठी लिखी है मां ने बेटे के नाम। सबसे ऊपर लिखा है राम जी का
वर्चुअल मंच पर “सावन की कजरी” का आयोजन
कोलकाता : कोरोना के आतंक के इस दौर में शनिवार 1 अगस्त 2020 को शाम
हाशिए के प्रश्न को केंद्र में लाने वाले लेखक हैं प्रेमचंद
कोलकाता : खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा ‘प्रेमचंद स्मृति व्याख्यानमाला’ का आयोजन
प्रेमचंद की 140वीं जयंती पर विशेष : शोषण के तिलिस्म को तोड़ते – मुंशी प्रेमचंद
प्रेमचंद के पूर्व जिस तरह के साहित्य लिखे जा रहे थे, उनके मूल में कल्पना
तारकेश कुमार ओझा की कविता : “घर में रहता हूं”
“घर में रहता हूं” लॉक डाउन है, इसलिए आजकल घर पे ही रहता हूं .