डॉ. आर.बी. दास की कविता : छोड़ दिया

।।छोड़ दिया।।
डॉ. आर.बी. दास

कुबूल है जिंदगी का हर तोहफा,
मैने ख्वाहिशों का नाम बताना छोड़ दिया,
जो दिल के करीब है, वो मेरे अजीज हैं,
मैने गैरों पर हक जताना छोड़ दिया,
जो समझ ही नहीं सकते दर्द मेरा,
मैने उन्हे जख्म दिखाना छोड़ दिया,
जो गुजरती है दिल पे, हकीकत है मेरी,
मैने दिखावे के लिए मुस्कुराना छोड़ दिया,
जो महसूस ही नहीं करते जरूरत मेरी,
मैने उनका साथ निभाना छोड़ दिया,
जो मेरे अपने हैं, वो मिलेंगे जरूर मुझे,
मैने बेवजह बंदिशे लगाना छोड़ दिया..!!

डॉ. राम बहादुर दास
सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)

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