ऊंची इमारतें, नीला आसमान
चौड़ी सड़के हैं सुनसान
बमुश्किल मिल रही रोटी बासी
देश कोरोना से परेशान ।
भुखमरी से लोग बेहाल
गठरियाँ बांध पलायन को तैयार
साथ में बच्चे भूख से बिलखते
सरकारी नीतियां हो रही कंगाल।
मजदूर की मजदूरी छूटी
छूट गया घर संसार ।
देश असहाय है पड़ा
डॉक्टर बने ईश्वर अवतार ।
मानवता को बचाने
पूर्ण समर्पित चिकित्सीय कार्य
धर्म जाति का विद्वेष त्याग
खड़े है ये मौत के द्वार ।
आओ लड़े कोरोना से हम
घर पर रहे सुरक्षित संसार
सच्चे अर्थों में है यही
कोरोना वारियर्स का सच्चा सत्कार ।।
-सुनीता कुमारी साव