विनय सिंह बैस की कलम से – बैसवारा की कतकी/कार्तिक पूर्णिमा!
“करवा हैं करवाली, उनके बरहें दिन दिवाली। उसके तेरहें दिन जेठुआन, और फिर चुटिया-पुटिया बांध
विनय सिंह बैस की कलम से : बचपन वाली दीपावाली!!
रायबरेली। बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीपावाली, बड़ी दीपावली और उसके बाद गंगा स्नान
विनय सिंह बैस की कलम से – चंदा तेरे कितने रूप!!!
नई दिल्ली। चंद्रमा पूजनीय है क्योंकि हमारे शास्त्रों में चंदा को ब्रह्माजी का मानस पुत्र
विनय सिंह बैस की कलम से – कातिक आने को है!!
रायबरेली। अब सुबह-शाम गुलाबी ठंड पड़ने लगी है। घास में पड़ने वाली ओस सूरज की
विनय सिंह बैस की कलम से – विजयदशमी
नई दिल्ली। पौराणिक मान्यता है कि विजयदशमी की तिथि को भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण
विनय सिंह बैस की कलम से – व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के दिन आ गए हैं
“बरषा बिगत सरद रितु आई। लछमन देखहु परम सुहाई॥ फूले कास सकल महि छाई। जनु
विनय सिंह बैस की कलम से : महालया
“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते। गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय
विनय सिंह बैस की कलम से : पूर्वजों को आमंत्रण
रायबरेली। बैसवारा में शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों पर हम परमात्मा, अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों और इष्ट
विनय सिंह बैस की कलम से – विश्वकर्मा दिवस
रायबरेली। हमारे समय में यानि 80-90 के दशक तक पढ़ाई का इतना दबाव बच्चों पर
विनय सिंह बैस की कलम से – हिंदी दिवस
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। 1984 की बात है। ‘बड़ा पेड़’ गिरने के बाद धरती
