अजय तिवारी “शिवदान” की कविता : प्रकृति से वार्तालाप

मैंने पूछा प्रकृति से कि क्यों कुपित हो गई हो? मुझको जवाब मिला , मानव

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मनोज कुमार रजक की कविता : यह कैसी घड़ी आई?

धरती पर यह कैसी घड़ी आई है, चारों तरफ पसरा है सन्नाटा, किसे अभी यहाँ

संचिता सक्सेना की कविता : क्या एक मात्र समाधान था ?

खुद को मार के मर तो जाओगे, क्या अपनी मजबूरियां मार पाओगे, तेरे पीछे उन