मदर्स डे स्पेशल : घनश्याम प्रसाद की कविता – “मां का जीवन”
“मां का जीवन” मेरी माँ है तो आंगन है, तुलसी है, घर है.. चूल्हा है,
मदर्स डे स्पेशल : दिनेश लाल साव की कविता – “स्मृतियों की पगडण्डी पर”
स्मृतियों की पगडण्डी पर स्मृतियों की लताओं में उलझा सा इतराता रहा इस जीवन पर
मदर्स डे स्पेशल : रामअशीष प्रसाद की कविता – “माँ के आँचल में”
माँ के आँचल में माँ तुम्हारी आँचल की छाँव में जो सुख है वो कहीं
मदर्स डे स्पेशल : संचिता सक्सेना की कविता – “दुनिया है मां”
दुनिया है मां मां ने जीना सिखाया, सलीखा और फ़र्ज़ भी, हिम्मत भी बनी मेरी,
मदर्स डे स्पेशल : डॉ. लोक सेतिया की कविता – “माँ के आंसू”
माँ के आंसू कौन समझेगा तेरी उदासी तेरा यहाँ कोई नहीं है उलझनें हैं साथ
दिनेश लाल साव की कविता : संघर्ष
घनी अंधेरी रातों में उड़ते देखा है जूगनू को, लघु दीप का पुंज लिए उड़ती
कोरोना पर सुनिता की कविता : बेबसी और मानवता
ऊंची इमारतें, नीला आसमान चौड़ी सड़के हैं सुनसान बमुश्किल मिल रही रोटी बासी देश कोरोना
रूपेश कुमार की कविता : यूं गरीबी का मज़ाक ना बनाओ
” यूं गरीबी का मज़ाक ना बनाओ मुट्ठी भर अनाज देकर फ़ोटो ना खिंचवाओ ।।
अजय तिवारी “शिवदान” की कविता : प्रकृति से वार्तालाप
मैंने पूछा प्रकृति से कि क्यों कुपित हो गई हो? मुझको जवाब मिला , मानव
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मनोज कुमार रजक की कविता : यह कैसी घड़ी आई?
धरती पर यह कैसी घड़ी आई है, चारों तरफ पसरा है सन्नाटा, किसे अभी यहाँ