कहता है श्याम कुमार राई “सलुवावाला’

।।मेरे देश की कुर्सी।।  आजकल मेरे देश की कुर्सी थरती से भी अधिक उपजाऊ हो

कोमल साव की कविता : एक सुबह तू आया था

।।एक सुबह तू आया था।। एक सुबह तू आया था हर शाम तुझमे समाया था

कवि मनोहर सिंह चौहान मधुकर की कविता : पूर्णिका

।।पूर्णिका।। ऐसी कैसी दोस्ती निभाता है तू। सामने आने से घबराता है तूं।। माना तेरी

डीपी सिंह की रचनाएं

अभी चढ़ी तो नहीं है न! होलिका बिल्कुल न पीना, भाँग वाले दिन कभी गाल

होली गीत : उनकी यादें सताने लगे फागुन में

होली गीत उनकी यादें सताने लगे फागुन में। कोयलिया कुकी डारी पे लगा मुझे तुम

राजीव कुमार झा की कविता : मुलाकात

।।मुलाकात।। राजीव कुमार झा हम दोस्त हैं क्या जरूरत भर एक – दूसरे को जानते

राजीव कुमार झा की कविता : यह धूपभरा तन

यह धूपभरा तन! राजीव कुमार झा धरती पर यह नयी ऋतु जीवन की गति है,

भोजपुरी होली – बितल जाड़ा रजऊ

।।भोजपुरी होली – बितल जाड़ा रज ऊ।। श्याम कुंवर भारती आइल होली बितल अब जाड़ा

डीपी सिंह की कविता : अच्छे दिन कब आएंगे

।।अच्छे दिन कब आएँगे।। राम लला तम्बू से बाहर, भव्य भवन में आये हैं बाबा

डीपी सिंह की रचनाएं

श्याम तन पर विविध रङ्ग – रोली सखी छवि है मनमोहिनी, कितनी भोली सखी सीय