गुरु को समर्पित सुजाता चौधरी की कविता
मिल जाए गुरु की चरण, मिटे वक्ष के पीर । आए प्रभु आपके शरण, व्याकुल
सुधीर सिंह की कविता
सपने लिए आँखों मे आ गया इक शहर में ढूंढता रहा जिंदगी जी रहा हूँ
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : गोरखा
।।गोरखा।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा सीमाओं की रक्षक है गोरखा दुश्मनों के दुश्मन हैं गोरखा,
डीपी सिंह की रचनाएं
सौदा छोड़ कर तरुवर, लता, वन-बाग, उपवन, मञ्जरी गाँव की ताज़ा हवा, चौपाल, घर की
कहता है – श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’
।।गम से कैसा नाता है।। वक्त बेवक्त वो शख्स यूं ही नहीं गाता है दर्द
डीपी सिंह की रचनाएं
।।महाराष्ट्र स्पेशल।। लालच में तो जयचन्द बने, बेच दी हया अब नाम नगर का है
डीपी सिंह की रचनाएं
पूरा घर-परिवार जहाँ खोया था जग की माया में पालन सृजन सुरक्षा सबको मिली वहाँ
कहता है श्याम कुमार राई “सलुवावाला’
।।मेरे देश की कुर्सी।। आजकल मेरे देश की कुर्सी थरती से भी अधिक उपजाऊ हो
कोमल साव की कविता : एक सुबह तू आया था
।।एक सुबह तू आया था।। एक सुबह तू आया था हर शाम तुझमे समाया था
कवि मनोहर सिंह चौहान मधुकर की कविता : पूर्णिका
।।पूर्णिका।। ऐसी कैसी दोस्ती निभाता है तू। सामने आने से घबराता है तूं।। माना तेरी