डीपी सिंह की रचनाएं

सौदा

छोड़ कर तरुवर, लता, वन-बाग, उपवन, मञ्जरी
गाँव की ताज़ा हवा, चौपाल, घर की देहरी
खेत-ख़ुशियाँ बेच कर हमने ख़रीदीं उलझनें
क़िस्त पर लीं शह्र की साँसें तनावों से भरी

डीपी सिंह

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