“कुरूक्षेत्र” मेरी नजर से द्वितीय भाग (कविता) : प्रमोद तिवारी
कुरूक्षेत्रः मेरी नजर से द्वितीय भाग अनादि आज विफल क्यों? कुपात्र पात्र हो गया !
“कनिया” (भोजपुरी कविता) : हृषीकेश चतुर्वेदी
“कनिया” झाँकि के झरोखा से पुरुआ झरकि आवे, बाँस-बँसवारी चोंइ-चोंइ चीखे चौंकि के। —————————————- अंगना
माहेश्वरी पुस्तकालय, कोलकाता में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन संपन्न
कोलकाता : माहेश्वरी पुस्तकालय, बड़ाबाजार, कोलकाता में 5 फरवरी शुक्रवार को एक सरस काव्य गोष्ठी
उत्तर कभी ना मिला (गीत) : पारो शैवलिनी
*उत्तर कभी ना मिला* नि:शब्द रात में, सुने हो क्या पृथ्वी का रोना। एकान्त दोपहर
दामन छोडावत जाता (कविता)
दामन छोडावत जाता उहँवे जाके अंटकि जाता, जहाँ से दामन छोडावत जाता, चलल रहे जहँवा
प्रमोद तिवारी की कविता : “तुमको कहाँ देखा”
“तुमको कहाँ देखा” कौन कहता है, मैंने ‘तुमको’ देखा है? मैंने इस जनम तो क्या
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “कल फिर आऊंगा”
“कल फिर आऊंगा” जरा डूबते सूरज को देखो कह रहा है मैं अभी चूका नहीं
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आदर्श माध्यमिक विद्यालय (कोलकाता) में राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत काव्य गोष्ठी का आयोजन
कोलकाता : राष्ट्रीय कवि संगम, नार्थ कोलकाता इकाई द्वारा आदर्श माध्यमिक विद्यालय (श्याम बाजार) के
अर्जुन अज्जू तितौरिया की कविता : रणभूमि
रणभूमि वीरों का रण सजा है रणचंडी के आवाह्न पर, दस-दस पर एक है भारी
प्रमोद तिवारी की कविता – कुरूक्षेत्रः मेरी नजर से (प्रथम भाग)
कुरूक्षेत्रः मेरी नजर से (प्रथम भाग) रण की भेरी बज गई, बर्छियाँ थी तन गई,