राजीव कुमार झा की कविता : शाम

शाम अरी सयानी! शाम की वेला, आकाश सिंदूरी, आज आकाश का। हर कोना हर्षित होकर,

नीक राजपुत की कविता : किताब मेरी दोस्त

किताब मेरी दोस्त किताब है  मेरी  सबसे  अच्छी   दोस्त और  मेरे  जीवन  की  रौशनी  किताब

निखिता पाण्डेय की कविता : पिता

पिता पिता वह जड़ है, जिसकी हम शाखा हैं, पिता वह पेड़ है, उसकी हम

राजीव कुमार झा की कविता : दोपहर

दोपहर तुमने साहस से खुद को आज पुकारा, हम कहाँ मिलेंगे शायद घर के बाहर।

गंगा दशहरा और पितृ दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल द्वारा भव्य काव्य गोष्ठी सम्पन्न

Kolkata Desk : राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल ने अपने राष्ट्रीय कवि धर्म का निर्वहन

(Father’s Day Special) अभिषेक पाण्डेय की कविता : पापा की बातें

पापा की बातें पापा की बातें फैली रहती हैं पूरे घर में पर इन बातों

पूनम शर्मा स्नेहिल की कविता : वो बचपन की यादें

वो बचपन की यादें 🙋🙋🐦🦋🐦🦋🐥🐣🐥🦋🐦🦋🐦🙋🙋 बड़ी मासूम सी हैं वो बचपन की यादें, आज भी

रीमा पांडेय की कविता : अपना कौन?

अपना कौन? जो निकट रहे, षड्यंत्र करे पल पल जीवन का अंत करे उत्साह को

गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : ताला

ताला ******* असल में मेरा नाम है ताला सारे घर का मैं रखवाली करता हूँ,

पारो शैवलिनी की कविता : यही सच है

यही सच है यही सच है, कि- जिन्दगी है तो मौत भी होगी। फिर, मौत