रीमा पांडेय की कविता : गुरु की महिमा

गुरु की महिमा

हे गुरु! ज्ञान का देना संबल मुझे
ज्ञान का दीप जलता रहे ना बुझे
तेरे आशीष से सारे संकट टले
स्वर्णिम जीवन के सपने पले।

हे गुरु! पथ मेरा आलोकित करो
मेरी झोली में ज्ञान के मोती भरो
तेरे बिन चहुंओर अंधेरा घना
जीवन पथ मेरा जटिल है बना।

हे गुरु! तुम गोविंद से भी बड़े
तुम ही बनाते हो सुंदर घड़े
जीवन रुपी बगीया में फूल खिले
शिष्यों से अपने तुम जो मिले।

हे गुरु! तेरी महिमा है अपरम्पार
तेरे आने से नैया हो जाती है पार
राम भी करते सदा तेरी पूजा
तुझ सा नहीं जग में कोई दूजा।

रीमा पांडेय

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