गोपाल नेवार की कविता : “पिता की दुआ”
पिता की दुआ *रहना सुखी ससुराल में बेटी* *लेती जा दुआ मेरी बेटी ।* *भारी
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “दिन बचपन के”
“दिन बचपन के” *याद* आते हैं अक्सर वो नादानियां वो शैतानियां बचपने की वो गिरना-पड़ना
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो”
“आखिर क्यों जुल्म सितम सहते हो” भई ये क्या गज़ब करते हो तुम सच को
वह भूल गया है (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
जिनके त्याग और सतत परिश्रम को चूस कर ही उनके पुत्र स्वाभिमानपूर्वक जीवन जीते हैं,
गोपाल नेवार की कविता : “ज़िन्दगी”
“ज़िन्दगी” ऐ ज़िन्दगी है यारों कठिन है राहें यारों । आसान नहीं मंजिल पाना कभी
समय का मोल…!! (कहानी) :– अमितेश कुमार ओझा
कड़ाके की ठंड में झोपड़ी के पास रिक्शे की खड़खड़ाहट से भोला की पत्नी और
करोड़पति खेलने का ख़्वाब ( हास-परिहास ) : डॉ लोक सेतिया
विषय शोध का लगा मुझे भले ये खेल मुझे खेलना नहीं आता और मैंने हमेशा
दुर्गेश वाजपेयी की कविता : “हे कश्मीर!”
“हे कश्मीर!” हे! कश्मीर तेरी बात क्या करें हम अब, तू खुद ही खुद में
बेगुनाही की सज़ा मिलती है ( व्यंग्य-कथा ) : डॉ लोक सेतिया
काली रात के अंधेरे में सुनसान वीरान जगह उन सभी बड़े बड़े लोगों की दुनिया
दुर्गेश वाजपेयी की कविता : “अभिशाप बना है”
“अभिशाप बना है” निस्तब्धता से उगा वेग कहाँ देखा? मन में उठे ज्वाला सा तेज
1 Comments